7th Pay Commission – Empowered Committee Meeting Scheduled Today
7th Pay Commission – Empowered Committee meeting which is to be held today, on 11th June 2016 will be a very crucial one to decide further course of action by both Govt side and Staff side.
7th Pay Commission – 7वां वेतन आयोग की रिपोर्ट से बेहतर वेतन की सिफारिश करेगा सचिवों का समूह, 11 जून को अहम बैठक.
केन्द्रीय कर्मचारियों को जून के बाद राहत की खबर मिल सकती है। सातवें पे—कमीशन की सिफारिशों को अमल में लाने के लिए गठित सचिवों का समूह इस बारे में अपनी अंतिम रिपोर्ट 30 जून को दे सकता है। इसमें सबसे अहम बात यह है कि केंद्रीय कर्मचारियों की न्यूनतम और अधिकतम सैलरी को लेकर सचिवों के समूह का रवैया काफी उदार रह सकता है। सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि पीएमओ भी अच्छे वेतनमान के हक में है। वित्तमंत्रालय भी पीएमओ के सम्पर्क में लगातार बना हुआ है।
सूत्रों के अनुसार सचिवों का समूह केंद्रीय कर्मचारियों की न्यूनतम सैलरी 24,000 रुपये और अधिकतम सैलरी 2,70,000 रुपये की सिफारिश कर सकता है। जबकि 7वें पे—कमीशन ने केंद्रीय कर्मचारियों की न्यूनतम सैलरी 18,000 रुपये और अधिकतम 2,50,000 रुपये करने की शिफारिश की है। मतलब है कि अगर सचिवों के समूह की सिफारिशें मान ली गईं तो केन्द्रीय कर्मचारियों को उम्मीद से कहीं बेहतर सैलरी मिलेगी। सरकार ने कैबिनेट सेक्रेटरी पी के सिन्हा के नेतृत्व में सचिवों के समूह का गठन किया है। यह समूह 7वें पे—कमीशन की सिफारिशों का अध्ययन करने के बाद इन पर अपनी सिफारिशें और सुझाव देगा।
11 जून को अहम बैठक – सचिवों के समूह ने सभी मंत्रालयों और विभागों से 7वें पे—कमीशन की सिफारिशों पर राय देने को कहा है। सभी मंत्रालयों और विभागों को यह राय 11 जून से पहले सौंपनी है। 11 जून को अंतिम बैठक होगी और उसके बाद सचिवों का समूह 30 जून तक अपनी रिपोर्ट को फाइनल करेगा और सरकार को सौंपेगा। सूत्रों के अनुसार वित्त मंत्रालय भी चाहता है कि रिपोर्ट, जून या जुलाई तक उसको मिल जाए ताकि उसके पास इन सिफारिशों पर अंतिम फैसला लेने के लिए कम से कम एक महीने का समय हो। मंत्रालय के उच्चाधिकारियों के अनुसार सरकार केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी में इजाफे की घोषणा त्यौहारी सीजन से पहले करना चाहती है। इससे इकनॉमी को फायदा हो सकता है। अगर केंद्रीय कर्मचारियों के पास पैसा आएगा तो वह इसे त्योहारी सीजन में मार्केट मे रौनक बढ़ने की काफी संभावनाएॅं होंगी।
क्या है सरकार की मजबूरी – स्मॉल सेविंग स्कीमों पर ब्याज दर कम करने से आम आदमी नाराज है। इसके बाद मजदूर संगठनों की नाराजगी के चलते सरकार को पीएफ पर ब्याज दरें बढ़ानी पड़ी है। ऐसे में सरकार अब केंद्रीय कर्मचारियों की नाराजगी मोल नहीं लेना चाहती है। यही कारण है कि सचिवों के समूह की सिफारिशों पर उदारता के साथ विचार करेगी। केंद्रीय कर्मचारियों के संगठनों ने इस बात की चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी बढ़ाने में किसी प्रकार की कंजूसी की तो वह विरोध प्रदर्शन करेंगे। वित्त मंत्रालय के उच्चाधिकारियों के अनुसार केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी बढ़ाने पर जो वित्तीय बोझ बढ़ेगा, उसे उठाने के लिए सरकार तैयार है। सरकार इसके लिए अलग से 1 लाख करोड़ रुपये का प्रबंध करने में लगी है। विनिवेश और दूसरे तरीकों से जुटाए गए धन का इस्तेमाल इसके लिए किया जाएगा। पहले साल में इसका बोझ काफी होगा।
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